स्वामिनी है विशाल ह्रदय की...


Like us on FB
रूकती ना कभी चली सी है 
औरतें बह रही नदी सी है
समेटे सारा जहां अपने भीतर
आसमां या कहीं जमीं सी है
चाशनी सी रिश्ते में घुल जाती
प्रेम वात्सल्य में पगी सी है
स्वामिनी है विशाल ह्रदय की
प्रबल जिजीविषा भरी सी है
सरंक्षिका सारे जगत की नारी
सर्वगुण संपन्न देवी सी है ।।
Rukti na kabhi chali si hai,
Aurte bah rahi nadi si hai
Samete sara jahan apne bhitar
Aasman ya kahi jamin si hai
Chashni si rishte me ghul jati
Prem vatsalya me pagi si hai
Swamini hai Vishal hridya ki
Prabal jijivisha bhari si hai
Sanrakshika sare jagat ki nari
Sarvgun sampanna devi si hai ।। 
❤️

Comments

Popular posts from this blog

ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की

मंजिल से आगे बढ़ कर मंजिल तलाश कर !!

कभी शाम ढले.. तो मेरे दिल में आ जाना!!