Posts

Showing posts from February, 2021

उलझन कुछ भी समझ ना आई, एक सिरे पर ख्वाहिश थी, और ...

Image
हिम-सा शीतल,नीर-सा चंचल   कनक-कलेवर, मधुमीठा - सा, चाँद  से  उजले चंदन तन पर प्रेम   गीत   मैंने   लिखा  था. प्रथम   प्रीत   का  था  स्पंदन सुधबुध का भी भान कहाँ था , सहज  धधक,उद्वेलन  मन में और  कोई  अरमान  कहाँ था.  कुमकुम- सा कोमल आकर्षण सुमन-सुगंध -सा वो आलिंगन, चाँदी  जैसे   उजले  दिन   वो हर  पल चमका कुंदन - कुंदन. स्वप्न  प्रवाह  सबल  ऐसा   था जीवन  में   संबल   जैसा   था, धरती  पर  ना  उतर  सका  वो व्योम - प्रवाही    गंगाजल  था. प्रेम    कहानी    ऐसी     उलझी उलझन कुछ भी समझ नाआई, एक   सिरे   पर   ख्वाहिश   थी और  दूजी ओर खड़ी रुसवाई.  रिश्ता  कच्चा  ही था  लेकिन गाँठ    प्रबलतम    जोड़   गया, जाते    जाते    दाग    दे    गया रंग    वो    पक्के    छोड़   गया. Him-sa sheetal, neer-sa chanchal  Kanak-kalevar, madhumeetha - sa, Chaand se ujale chandan tan par  Prem geet mainne likha tha.  Pratham preet ka tha spandan  Sudhabudh ka bhee bhaan kahaan tha ,  Sahaj dhadhak,udvelan man mein Aur koee aramaan kahaan tha.  Kumakum- sa komal aakarshan  Suman-sugandh -sa vo aalinga

#हो_सकता_है... कल मैं न रहूँ...

Image
  #हो_सकता_है          कल मैं न रहूँ पर तुम उदास न होना, झरोखे से अंबर को देखना और अपनी सूनी आँखो को टिका देना सबसे चमकीले तारे पर, हाँ ध्रुवतारे पर उसी की मांनिद स्थिर अचल रहूँगा तुम्हारे अंतर्मन में ! हो_सकता_है... कल मैं न रहूँ तुम निराश न होना सुनना तुम देवालय से आती प्रार्थना की सुर लहरियाँ उनकी गूँज सदृश गुंजायमान रहूंगा मैं तुम्हारे मन मंदिर में सदैव ! हो_सकता_है कल मैं न रहूँ तुम परेशां न होना पढ़ना महान कवियों का कविता संग्रह प्रत्येक कविता के शब्दों में मिलूंगा, 'मैं'भाव विभोर करता हुआ तुम्हे !! सुनो...विछोह हो_सकता_है , सरीखी सम्भावनाओं को विराम दे ही देना...तुम , तुम्हारे इर्द गिर्द मैं ही मिलूंगा हमेशा-हमेशा !!