#हो_सकता_है... कल मैं न रहूँ...
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पर तुम उदास न होना,
झरोखे से अंबर को देखना
और अपनी सूनी आँखो को टिका देना
सबसे चमकीले तारे पर,
हाँ  ध्रुवतारे पर 
उसी की मांनिद स्थिर अचल रहूँगा
तुम्हारे अंतर्मन में !
हो_सकता_है...
कल मैं न रहूँ
तुम निराश न होना 
सुनना तुम देवालय से आती 
प्रार्थना की सुर लहरियाँ 
उनकी गूँज सदृश गुंजायमान रहूंगा मैं 
तुम्हारे मन मंदिर में 
सदैव !
हो_सकता_है 
कल मैं न रहूँ
तुम परेशां न होना
पढ़ना महान कवियों का कविता संग्रह
प्रत्येक कविता के शब्दों में मिलूंगा, 
'मैं'भाव विभोर करता हुआ तुम्हे !!
सुनो...विछोह
हो_सकता_है ,
सरीखी सम्भावनाओं को 
विराम दे ही देना...तुम ,
तुम्हारे इर्द गिर्द मैं ही मिलूंगा हमेशा-हमेशा !!



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