सीखा है जीने का सलीका...


Like us on FB

ये लकीरें, ये नसीब, ये किस्मत सब फ़रेब के आईनें हैं,
हाथों में तेरा हाथ होने से ही मुकम्मल ज़िंदगी के मायने हैं!
💞
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीका,
 चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना !

बुझे लबों पे तबस्सुम के गुल सजाता हुआ

महक उठा हूँ मैं तुझ को ग़ज़ल में लाता हुआ

मुस्कान के भी कुछ उसूल
होते हैं
हर किसी के नाम पर नहीं
मुस्कुराते हम.....

अच्छी लगती है मुझे वो तेरी मुस्कान..

जो मुझे परेशान करने के बाद आती है तेरे चेहरे पर..!!

ना समेट सकोगे कयामत तक जिसे तुम,
कसम तुम्हारी तुम्हें इतनी मुहब्बत करते हैं…


Comments

Popular posts from this blog

ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की

मंजिल से आगे बढ़ कर मंजिल तलाश कर !!

कभी शाम ढले.. तो मेरे दिल में आ जाना!!