या फिर इनायत आप की......
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हद से जब बढ़ जाए, ताल्लुक तो गम मिलते हैं
इसी वास्ते तो हम हर शख्स से, कम मिलते हैं....
मेरे दिल का वही कोना जागता रहता है
जहां तेरी यादों का सफर साथ रहता है...
तेरी यादें तेरी बातें, तसव्वुर तेरा ही दिल में,,,,,,,,,,,
मेरी हस्ती है घर ऐसा कि जिसमें मैं नहीं रहता.......
हंसती आंखों का नूर तो देखिए जनाब
बन्द पलकों में मोहब्बत देखती हूँ और खुली में महबूब...
एक पल आयी नजर घूँघट से सूरत आप की,,,,,,,,,,
यह हवा का खेल था या फिर इनायत आप की......
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