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तुम्हारा दीदार...और वो भी...आँखों में आंखें डालकर....
ये कशिश...कलम से बयां करना भी मेरे बस की बात नहीं .....
खुद से भी बढ़कर मैने तेरी चाहत की है…
प्यार नहीं… ईश्क नहीं… ईबादत की है…
मोहब्बत आज भी करते है एक दूसरे से....
मना वो भी नहीं करती और बयां हम भी नहीं करते...
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