है तेरे इंतज़ार में...
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रह रह के अब भी तुझको मैं चिठ्ठियां लिखूं
थोड़ा सा प्यार और थोड़ी सिसकियां लिखूं
कल रात मेरी गुज़री तेरे इंतज़ार में
कल शब का चाँद लिखूं और खिड़किया लिखूं
तुझको ही तो सोच कर रोया मैं ज़ार ज़ार
उन आसुओं के बीच में मैं हिचकियां लिखूं
खड़की जो कल रात भर वो पत्तियां लिखूं
शम्मा भी मेरे संग जागी करवटों में क्यूं
पिघली जो कतरा-कतरा, मोमबत्तियां लिखूं
है तेरे इंतज़ार में पूरा मेरा शहर
तेरी राह ताकती हुई मैं बस्तियां लिखूं
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