"चाँदनी" तुम क्या हो...
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"चाँदनी" तुम कोई झ॔कार हो, नग्मा हो ,या कोई सदा हो क्या हो ?
तुम किरन हो , के कली हो, की या कोई सबा हो क्या हो
"चाँदनी" तुम्हारी आँखों में कई र॔ग झलकते देखे मैने
सादगी हो ,की झिझक हो ,की हया हो क्या हो ?
"चाँदनी" मेरी रूह की प्यास बुझा दी हैं तेरी कुरबत ने
तुम कोई झील हो, झरना हो ,की या कोई घटा हो, क्या ही?
"चाँदनी" तेरा नाम होटों पे आए तो राहत सी मिलती है
तुम तसल्ली हो ,दिलासा हो ,की या कोई दुआ हो, क्या हो ?
"चाँदनी" मुझे होश में ला के मेरे होश उड़ाने वाली
तुम नाज़ हो, शोख़ी हो ,की या कोई अदा हो ,क्या हो ?
"चाँदनी" तुम दिल के ख़तावार हो, नज़र पारसा, की या कोई तस्वीरें अन हो, क्या हो
तुम बशर हो, फरिशता हो ,की या कोई खुदा हो ,क्या हो ?
तुम श़फक हो, की धनक हो, की या कोई हिना हो, बताओ ना "चाँदनी" तुम क्या हो...
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