महोब्बत अंधी है...


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दिल कहता है की लिख दू, इक नजम तेरे नाम की,
तुझे खुश ना कर पाऊ तो ये ज़िन्दगी किस काम की।
इक झलक जो मुझे आज तेरी मिल गयी मुझे
फिर से आज जीने की वजह मिल गयी तुम मिले तो लगा मुझे ऐसे,
पिछले जन्म की बिछड़ी मेरी रूह मिली हो मुझे जैसेइंतजार तो बस उस दिन का है
जिस दिन तुम्हारे नाम के पिछे हमारा नाम लगेगा ।जिन्दगी में ‘कुछ’ चीजे भुलाई नही जा सकती
मेरी जिन्दगी में सब ‘कुछ’ सिर्फ तुम ही होथोड़ा मैं , थोड़ी तुम, और थोड़ी सी मोहब्बत
बस इतना काफी है, जीने के लिये…
कहने के तो बहुत सारे है लोग हमारे,
पर जब वही लोग हमें “आप” का कह के बुलाते है,
खुदा क़सम दुनिया भर की ख़ुशी मिल जाती हैदिल को छु जाती है,
एक तुम और एक बाते तुम्हारी
थाम लूँ तेरा हाथ और तुझे इस दुनिया से दूर ले जाऊं,
जहाँ तुझे देखने वाला मेरे सिवा कोई और ना हो ।तेरी शान में क्या नज़्म कहूँ अल्फाज नहीं मिलते. . .
कुछ गुलाब ऐसे भी हैं जो हर शाख पे नहीं खिलते. . .
मैने दिल के दरवाजे पर लीखा अन्दर आना सख्त मना है. . .
महोब्बत हंसती हुई आयी और बडे प्यार से कहा माफ करना मै तो अंधी हूँ . . .


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