किस्से दिल लगाया था


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थोड़ी थोड़ी ही सही मगर बातें तो किया करो ,

 चुप रहते हो तो भूल जाने का एहसास होता है।


मै कतरा कतरा फना हुआ,
ज़र्रा ज़र्रा  बीखर गया..
ऐ ज़िदंगी तुझसे मिलते-मिलते
मै अपने आप से बिछड़ गया...


वो शर्मायें मेरे सवाल पर कि उठा सके न झुका के सर,
   उड़ी ज़ुल्फ चेहरे पे इस तरह, कि शबों के राज़ मचल गए..


🌹चाहत थी या दिल्लगी या यूँही मन भरमाया था
याद करोगे तुम भी कभी,किस्से दिल लगाया था.🌹

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