अल्फाज़...
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लेकिन दोस्तो उन अल्फाज़ो को हम किस लहजे में कहते हैं,
इस बात का ज़्यादा असर होता है।
आजकल की इस भाग दॊड की ज़िन्दगी में,
जिसे देखो दर्द से भरा दिखाई देता है।
ऒर हर इन्सान यह भूल जाता है,
कि सामने वाला भी शायद किसी परेशानी से गुजर रहा होगा,
बस वही से शुरू हो जाता है,
अल्फाज़ो का आदान - प्रदान बिना यह सोच समझ कि,
उन अल्फाज़ो का क्या असर हो रहा होगा जो
लोग आपस में तो बात - चीत कर रहे होते हैं,
लेकिन वास्तव में वो अल्फाज़ कब,
कढ़वेपन का रूप ले लेते हैं पता ही नहीं चलता,
इन अल्फाज़ो के कहने के अन्दाज़ से,
या तो कितने टूटे रिश्ते बन सकते हैं,
इन अल्फाजो के कहने के अन्दाज़ से या तो कितने घर दांव पे लग सकते हैं!!!
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