अपने


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पलकों में कैद कुछ सपने हैं;

कुछ बैगाने और कुछ अपने हैं; 

 ना जाने क्या कशिश है इन ख्यालों में;

कुछ लोग हमसे दूर होकर भी कितने अपने हैं।

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