तेरे इंतेज़ार की...l
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आदत बदल दू कैसे तेरे इंतेज़ार की
ये बात अब नही है मेरे इकतियार की
देखा भी नही तुझ को फिर भी याद करते है
बस ऐसी ही खुश्बू है दिल मे तेरे प्यार की...
पास तुम होते तो कोई शरारत करती...
ले कर तुम्हें बाहों में मुहब्बत करती...
पलकों में सिमट जाता है...
प्यार को जब प्यार से प्यार हुवा
तो प्यार ने प्यार को प्यार से पुछाः
प्यार केसा होता है ?
तो प्यार ने प्यार को प्यार से कहाः
जो ईश प्यारी सी शायरी को पढ रहा है
प्यार उनके जैसा प्यारा होता है ।
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